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LANGUAGES

 

Teachers and students use spoken and written language to communicate with each other–to present tasks, engage in learning processes, present academic content, assess learning, display knowledge and skill, and build classroom life. They learn to read and write (academic written language), and they learn the discourse of academic disciplines (sometimes called academic languages and literacy). They are developing use of complex grammatical structures and vocabulary; communicative competence (rules for the appropriate and effective use of language in a variety of social situations); comprehension of spoken and written language; and ways to express themselves. With regard to spoken language, instructional programs may emphasize opportunities to comprehend a variety of genres from directions to narratives and opportunities to experiment with modes of expression. With regard to written language, classrooms for young children provide opportunities to learn alphabetic symbols, grapho-phonemic relationships (letter-sound relationships), basic sight vocabulary, and comprehension strategies; and also feature the reading of stories designed for young children. Young children may also have opportunities to learn how to express themselves through written language, including opportunities to form letters, words, sentences, and text structures, and opportunities to learn how
to put together a written language.

JSK_7738

भाषा ही वह साधन है जिसके माध्यम से विचारों की अभिव्यक्ति की जाती है एवं प्राथमिक स्तर पर शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए कक्षा कक्ष में सभी छात्रों को सक्रिय रखा जाता है। प्राथमिक विद्यालय ही वह स्थान है जहां पर प्राथमिक शिक्षा के द्वारा एक आदर्श छात्र को तैयार किया जाता है जिस के तहत उनके चारों आधारभूत भाषाई कौशल को विकसित करते हैं जैसे बोलना ,सुनना ,लिखना, पढ़ना । कक्षा कक्ष का वातावरण विद्यार्थियों के लिए अभिप्रेरित करने वाला एवं मनोबल बढ़ाने वाला होता है विद्यार्थी हिंदी भाषा में दक्षता प्राप्त करते हैं एवं नवीन शब्दों का ज्ञान अर्जित करते हैं। विद्यार्थियों को अनेक ऐसे अवसर प्रदान किए जाते हैं जिस से वह अपनी कल्पनाशीलता, चिंतन शक्ति को विकसित करते हैं। प्रारंभिक स्तर पर भाषा के माध्यम से ही विद्यार्थियों में संस्कार उत्पन्न किए जाते हैं। अध्ययन हेतु पाठ योजना इसी प्रकार तैयार की जाती है जिस से वह हर विषय बिंदु को व्यवहारिक जगत से जोड़कर चिंतन मनन करना सीखें। इसके लिए विविध प्रकार की शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाता है जैसे व्याख्यान विधि ,खेल खेल में , प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष विधि,सरलता से कठिनता की ओर। प्रभावी शिक्षण का प्रयोग करते हुए बालक की सृजनात्मकता को अधिक से अधिक विकसित किया जाता है।